Nitish Kumar: क्या हो सकते है नीतीश कुमार देश के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर ? क्या है नीतीश कुमार का पूरा इतिहास ?

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Nitish Kumar

Nitish Kumar: लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं, और इस बार के चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है। हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गया है। इसका मतलब है कि केंद्र में एक बार फिर से एनडीए सरकार बनने की संभावना है। इस दौरान, सबसे ज्यादा चर्चा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हो रही है। इसका कारण है कि बिहार में JDU ने फिर से बीजेपी के लिए संजीवनी का काम किया है, और नीतीश कुमार के सामने लालू-तेजस्वी का तेज फीका पड़ गया है।

बिहार में बीजेपी और जेडीयू दोनों को 12-12 सीटों पर जीत मिली है। चिराग पासवान की पार्टी ने सभी पांच सीटों पर और मांझी ने अपनी एक सीट पर जीत दर्ज की है। अर्थात, 2019 के लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें थीं, लेकिन इस बार केवल 30 सीटें मिलीं हैं। इसके अलावा, इंडिया गठबंधन को 9 सीटें और निर्दलीय को एक सीट पर जीत हासिल हुई है।

क्यू कहा जाता है नीतीश कुमार को पलटूराम?

नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई बार गठबंधन से पलटी मारी हैं। यह उनकी राजनीतिक यात्रा के महत्वपूर्ण पलों में से एक है। यहां नीतीश कुमार के अब तक के प्रमुख गठबंधनों की कुछ जानकारी है:

  1. 2005 में जदयू-बीजेपी गठबंधन: 2005 में, नीतीश कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन के तहत, उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर चुना गया।
  2. 2013 में जदयू-बीजेपी गठबंधन का खंडन: 2013 में, नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन को खंडित किया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
  3. 2015 में महागठबंधन: 2015 में, नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया। इस गठबंधन के तहत, उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर फिर से चुना गया।
  4. 2020 में बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन: 2020 में, नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन किया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर चुना गया, लेकिन इस बार बीजेपी ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा।

इन गठबंधनों के माध्यम से, नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक यात्रा में विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है, और अपने राजनीतिक स्टैंड को समय-समय पर समायोजित किया है।

क्यू कहा जाता है नीतीश कुमार को पलटूराम
क्यू कहा जाता है नीतीश कुमार को पलटूराम

क्या है नीतीश कुमार का पूरा इतिहास?

नीतीश कुमार का राजनीतिक जीवन भारतीय राजनीति में एक अहम योगदान रखता है। उनका पूरा जीवन उनके संघर्ष, उनके सोच के बदलाव और उनके राजनीतिक स्टैंड की एक कहानी है। नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के नालंदा जिले में हुआ था।

नीतीश कुमार ने प्रारंभिक जीवन में अपनी पढ़ाई की अच्छी शिक्षा प्राप्त की और फिर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक और वनस्पति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। नीतीश कुमार ने अपने शैक्षिक अनुभव के बाद बिहार की राजनीति में प्रवेश किया और वहाँ से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर उनके जिला पंचायत से शुरू हुआ, जहां उन्होंने बहुमत से चुनाव जीता। उन्होंने अपनी चुनौतीयों के साथ मिलकर जिला पंचायत का काम किया और लोगों के बीच पॉपुलरिटी हासिल की।

1991 में, नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के रूप में सदस्यता प्राप्त की, और तब से उनका राजनीतिक करियर गति से बढ़ता चला गया। वह 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, जब वे लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन का हिस्सा बने।

नीतीश कुमार के राजनीतिक स्टैंड उनके विकासवादी और समाजवादी मूल्यों के प्रति निष्ठा पर आधारित हैं। उन्होंने बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास क्षेत्र में कई योजनाओं की शुरुआत की है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और शिक्षा के प्रति उनकी प्रेरणा के कारण, उन्होंने बिहार के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा में उनके कई उच्च और निम्न मोड़ रहे हैं। वे विभिन्न गठबंधनों में शामिल होते रहे हैं और अपने राजनीतिक स्टैंड को बदलते रहे हैं, जो उन्हें राजनीतिक विवादों की चोट से बचने में मदद करता है। उनके प्रदर्शन में विश्वास के साथ, नीतीश कुमार ने बिहार को एक नया दिशा देने का प्रयास किया है।

नीतीश कुमार के अब तक के मुख्य राजनीतिक स्टैंड
नीतीश कुमार के अब तक के मुख्य राजनीतिक स्टैंड

नीतीश कुमार के अब तक के मुख्य राजनीतिक स्टैंड

नीतीश कुमार ने अपने करियर के दौरान विभिन्न समयों में विभिन्न राजनीतिक उठाव और गिरावटों का सामना किया है। यहां नीतीश कुमार के अब तक के मुख्य राजनीतिक स्टैंड की कुछ मुख्य बातें हैं:

  1. विकास केंद्रित स्टैंड: नीतीश कुमार ने हमेशा विकास को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता बनाए रखा है। उन्होंने बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, और बिजली जैसे क्षेत्रों में प्रोग्रेसिव योजनाओं को शुरू किया है।
  2. विपक्षी संगठनों के साथ गठबंधन: नीतीश कुमार ने अक्सर विपक्षी दलों के साथ गठबंधन किया है, विशेष रूप से कांग्रेस और यादव समाजवादी पार्टी के साथ। इन गठबंधनों के माध्यम से, उन्होंने राजनीतिक संधियों की बुनियाद रखी और अपनी राजनीतिक आधार को मजबूत किया।
  3. आर्थिक पारदर्शिता: नीतीश कुमार ने अपनी प्रशासनिक क्षमता के माध्यम से बिहार की आर्थिक पारदर्शिता को बढ़ाने का प्रयास किया है। उन्होंने कई योजनाओं को शुरू करके और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करके राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।
  4. सामाजिक न्याय: नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय को अपने राजनीतिक कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। उन्होंने गरीबी और वंचितों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत की है।
  5. नैतिकता और ईमानदारी: नीतीश कुमार को उनकी नैतिकता और ईमानदारी की प्रशंसा की जाती है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान हमेशा ईमानदारी और सच्चाई का पक्ष लिया है, जिसने उन्हें लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।

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